Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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बैशाखी त्योहार: खुशियों का उत्सव Baishakhi Festival

 भारतीय सांस्कृतिक विरासत में बैशाखी एक महत्वपूर्ण और आनंदमय पर्व है। यह पर्व विभिन्न रूपों में अलग-अलग भागों में मनाया जाता है, लेकिन इसका मूल अर्थ है उत्साह और आनंद का प्रकटीकरण करना। बैशाखी को भारत भर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि बैसाखी, बैसाक, बहगु, रोंगाली बिहू आदि। हिन्दी के भाषीय क्षेत्रों में इसे बैसाखी नाम से जाना जाता है, जबकि बंगाल में यह बोहाग बिहू के नाम से मनाया जाता है।

बैशाखी का महत्व

बैशाखी का त्योहार भारतीय कृषि समाज में एक महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। यह विशेष रूप से उत्तर भारत के कृषि प्रधान क्षेत्रों में अधिक प्रभावशाली होता है, जहां यह अन्न के उत्पादन के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक परिवार के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में भी माना जाता है। इसे बैशाखी पर्व के रूप में मनाने का मुख्य कारण होता है कि यह अन्न की फसलों की खेती के साथ ही नया साल भी होता है, इसलिए लोग इसे नववर्ष के रूप में मनाते हैं।

बैशाखी का उत्सव

बैशाखी का उत्सव सामाजिक सहयोग और उत्साह का प्रतीक है। यह एक ऐसा समय होता है जब लोग अपने परिवारों और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियों का उत्सव मनाते हैं। सभी लोग खेतों के समीप होते हैं, जहां खेती के त्योहार के रूप में कई प्रकार की गतिविधियाँ होती हैं। गाने, नृत्य, और खेल-कूद के माध्यम से लोग आपसी साथी और समर्थन का महत्व जाहिर करते हैं।

धार्मिक महत्व

बैशाखी का महत्व धार्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक है। हिन्दू धर्म में इसे नववर्ष के रूप में माना जाता है, जबकि सिख धर्म में इसे खालसा पंथ के गठन के रूप में महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाया जाता है।