Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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रंगीला राजस्थान पर निबंध – Essay On Rangila Rajasthan In Hindi

 हमारा प्रदेश राजस्थान–

भारत एक विशाल गणतन्त्र है। इसका स्वरूप संघीय है। राज्यों के इस संघ में अनेक राज्य सम्मिलित हैं। हमारा प्रदेश राजस्थान भी भारत का एक राज्य है। पन्द्रह अगस्त 1947 ई. को जब भारत स्वतंत्र हुआ, इस देश में अनेक छोटी–बड़ी रियासतें थीं। राजस्थान को तब राजपूताने के नाम से जाना जाता था। इस प्रदेश की अनेक रियासतों का भारत में विलय होने के पश्चात् जब राज्यों का गठन हुआ तो इस प्रदेश को राजस्थान नाम दिया गया।



रंगीला राजस्थान–
हमारे प्रदेश राजस्थान के अनेक रंग हैं, वह रंगीला है। रंगीला होने का आशय यह है कि इस प्रदेश की अनेक विविधताएँ हैं। राजस्थान के लोग, इनकी सभ्यता और संस्कृति, उनकी मान्यताएँ, उनके विश्वास आदि के अनेक रूप ही राजस्थान के अनेक रंग हैं। इन विभिन्न रंगों में रँगा होने के कारण ही वह रंगीला है। हमारा यह रंगीला राजस्थान बड़ा आकर्षक और प्यारा है।

राजस्थान की विविधता–
राजस्थान की धरती के दो रूप हैं। उसका पश्चिम–उत्तरी भाग रेतीला है तो दक्षिण–पूर्वी भाग हरा–भरा है। अरावली पर्वतमाला इसके बीच में फैली हुई है। इस प्रदेश के डूंगरों, ढाणियों और धोरों में जल का अभाव है। वहाँ सूखा रेत फैला है। वैसे प्रदेश की प्रकृति के ये दोनों ही रूप में आकर्षक हैं।

राजस्थान एक प्राचीन प्रदेश है। इसका इतिहास यहाँ के निवासियों की वीरता के किस्सों से भरा हुआ है। यहाँ के युवकों ने स्वदेश हित के लिए तलवार की धार पर चलने में परहेज नहीं किया है, नारियाँ भी जौहर–व्रत में कभी पीछे नहीं रही हैं। यहाँ के पुरुष बलवान और नारियाँ सुन्दर और कोमल होती हैं। राजस्थान में पुरातत्त्व के महत्व की अनेक चीजें मिलती हैं। अनेक प्राचीन किले, महल, हवेलियाँ और मंदिर राजस्थानी कला का प्रभाव प्रस्तुत करते हैं। हल्दीघाटी आज भी इस प्रदेश को प्राचीन गौरव की कथा सुनाती है।

राजस्थान में सभी धर्मों के अनुयायियों का निवास है। सभी के धार्मिक स्थल और उपासना केन्द्र राजस्थान में मिलते हैं। यहाँ नाथद्वारे के प्रसिद्ध मंदिर हैं तो अजमेर की दरगाह शरीफ भी है। श्री महावीर जी, कैलादेवी, मेंहदीपुर के बालाजी, पुष्कर आदि तीर्थस्थल, इस प्रदेश में मान्य विविध विश्वासों और उनकी एकता का प्रमाण हैं।

राजस्थान की सभ्यता–
संस्कृति अनुपम है। यहाँ होली, दीपावली, रक्षाबंधन, तीज, गणगौर आदि त्योहार मनाए जाते हैं। अनेक मेलों का आयोजन भी होता है। यहाँ पद्मिनी, पन्ना आदि वीरांगनाएँ हुई हैं तो सहजोबाई और मीरा जैसी भक्त नारियाँ भी जन्मी हैं।

राजस्थान आज विकास के पथ पर है। आगे बढ़ता हुआ भी वह अपनी परम्परागत संस्कृति से बँधा हुआ है। यहाँ संगमरमर तथा अन्य पत्थर, ताँबा तथा शीशा आदि अनेक खनिज पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। यहाँ पुराने ढंग के गाँव हैं तो जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि महानगर भी हैं। प्राचीन हस्तकलाओं के साथ नये और विशाल उद्योग भी इस प्रदेश में स्थापित हैं।

उपसंहार–
राजस्थान का भविष्य उज्ज्वल है। यह प्रदेश निरन्तर विकास के राजमार्ग पर आगे बढ़ रहा है। लोगों में शिक्षा और समृद्धि बढ़ रही है। वे राजस्थान के नवनिर्माण में लगे हैं। राजस्थान के रंगों को चटकीला बनाने में यहाँ के परिश्रमी लोगों का भारी योगदान है।