Aradhana
Sharma
Research Scholar
Department of Political Science and
Public Administration,
Banasthali Vidyapith, Rajasthan,
304022
Email: aradhanataniya213@gmail.com
प्रस्तावना
संविधान सभा में लंबी
चर्चा के बाद 14 सितंबर सन 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया | इसकी स्मृति
को याद रखने के लिए 14 सितंबर का दिन प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है|
हिंदी राजभाषा भारतीय एकता में एक सेतु के रूप में काम करती है, जो विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि
के लोगों को आपस में जोड़ती है और संचार को आसान बनाती है। आज हम स्वतंत्र है, स्वतंत्रता
संग्राम के दौरान यह एकता का एक सशक्त माध्यम बनी, जिससे लोगों को एक साथ लाया जा सका।,
इसका व्यापक उपयोग संवाद स्थापित करने और भारत की विविधता में एकता को बढ़ावा देने
में सहायक है[1]।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, हिंदी ने लोगों को एकजुट करने और राष्ट्रव्यापी अभियानों
को सफलता की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगर हिंदी भाषा ना होती तो स्वतंत्रता
संग्राम में लोगों को एकजुट करना आसान न होता| हिंदी भाषा ने ही लोगों के दिलों में
स्वतंत्रता की लो जगायी | स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आम जनता
तक अपने विचारों और संदेशों को पहुंचाने के लिए हिंदी एक सशक्त माध्यम बनी| कवियों
और लेखकों ने अपनी लेखनी से जनता में क्रांतिकारी चेतना और राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया|
विभिन्न विधाओं मे हिंदी साहित्य नए संघर्ष और क्रांति को अभिव्यक्त किया, जिससे जनता
की भागीदारी बढ़ी[2] |
हिंदी राजभाषा के रूप
में भारत की एकता का सेतु है क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं के लोगों को आपस
में जोड़ने वाली एक सशक्त माध्यम है। इसकी सरलता और व्यापकता के कारण, यह पूरे देश
में विचारों के आदान-प्रदान और सांस्कृतिक समन्वय को बढ़ावा देती है, जिससे राष्ट्रीय
एकता मजबूत होती है।
·
सांस्कृतिक एकता में
हिंदी की भूमिका:
राष्ट्रीय
एकता की भावना को बढ़ावा देने, भारत की विविध संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोने,
और साझा राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में महत्वपूर्ण है। यह एक सेतु का काम करती
है जो अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को विचारों और भावनाओं को साझा करने की अनुमति देती
है, जिससे सामाजिक सामंजस्य और आपसी समझ बढ़ती है[3]।
हिंदी भाषा भारत की विविध संस्कृतियों को पिरोने वाली एक माला के समान है, जो समाज
में एकता और सामंजस्य की भावना पैदा करती है। यह भारत की समृद्ध परंपराओं,
रीति-रिवाजों और विरासत का संरक्षक है, जो देश की सांस्कृतिक गहराई को बनाए रखने में मदद करती है।
हिंदी भाषा साहित्य, संगीत, और कला के माध्यम से विचारों और भावनाओं को साझा करने का
एक मंच प्रदान करती है, जो सामाजिक एकता को मजबूत करता है।
·
धार्मिक और साहित्यिक
जुड़ाव:
राजभाषा हिंदी धार्मिक
एकता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत माध्यम है क्योंकि यह विभिन्न धार्मिक संविदाओं
के बीच संचार और समझ को आसान बनाती है यह विभिन्न धार्मिक ग्रंथो भजनों और अनुष्ठानों
का हिस्सा होने के कारण हिंदू धर्म से भी जुड़ी है जिससे एकता की भावना पैदा होती है
इसके अतिरिक्त इतिहास में विभिन्न धार्मिक
और आध्यात्मिक विचारको ने भी हिंदी का उपयोग किया, राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण रहा है[4]|
प्राचीन काल से ही संस्कृत और उसके बाद हिंदी
ने साधु-संतों, भक्तों और साहित्यकारों के माध्यम से पूरे देश में विचारों को फैलाने
का काम किया है, जो एकता की भावना को मजबूत करता है। क्ति और सूफी संतों
ने अपने धार्मिक और दार्शनिक विचारों को फैलाने के लिए हिंदी और अपभ्रंश जैसी भाषाओं
का इस्तेमाल किया, जिससे देश भर में धार्मिक सदभावना को बढ़ावा मिला।
·
ज्ञान और साहित्य का
प्रसार:
हिंदी
में उपलब्ध विशाल साहित्य, जिसमें ज्ञान-विज्ञान और धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं, राष्ट्रीय
एकता की भावना को मजबूत करने में मदद करता है। राजभाषा हिंदी और हमारे
वेद एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं, क्योंकि हिंदी भाषा की जड़ों में वेदों की प्राचीन
भाषा संस्कृत की गहरी छाप है और वेदों को समझने के लिए हिंदी का ज्ञान आवश्यक है। हिंदी,
भारत की राजभाषा और ज्ञान की भाषा के रूप में, वेदों के धार्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक
ज्ञान को समझने और प्रसारित करने में मदद करती है[5]।
काव्य ने ज्ञान और साहित्य के प्रसार में हिंदी राजभाषा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई है। भक्ति काल में संतों, गुरुओं और सूफियों ने अपने संदेशों को जन-जन तक पहुँचाने
के लिए काव्य का उपयोग किया, जिससे यह भाषा देश के कोने-कोने तक पहुँची। इसके अलावा,
आधुनिक युग में भारतेंदु और द्विवेदी युग के कवियों और लेखकों ने खड़ी बोली को व्यवस्थित
मानक रूप देकर गद्य और पद्य के विकास में योगदान दिया, जिसने हिंदी साहित्य और राजभाषा
के रूप में इसके प्रसार को बढ़ावा दिया[6]।
·
भारतीय भाषाओं के साथ
सामंजस्य:
हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ सह-अस्तित्व में
रहकर और उनके साथ तालमेल बिठाकर राष्ट्रीय एकता को और मजबूत किया जा सकता है। हिंदी
का अन्य भारतीय भाषाओं के साथ सामंजस्य भारत की भाषाई विविधता में एकता का प्रतीक है।
देश की अनेक भाषाओं और बोलियों के बीच हिंदी एक सेतु का कार्य कर सकती है, जो संवाद
को सरल और प्रभावी बनाती है। यदि हिंदी अन्य भाषाओं के साथ सहयोग और सह-अस्तित्व की
भावना से आगे बढ़े, तो यह राष्ट्रीय एकता को सशक्त बना सकती है[7]।
यह आवश्यक है कि हिंदी को थोपने के बजाय उसे प्रेम, सम्मान और संवाद का माध्यम बनाया
जाए, जिससे अन्य भाषाओं के अस्तित्व और गरिमा को भी बराबरी का स्थान मिले। इस संतुलन
से देश में भाषाई सौहार्द्र और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा।
·
डिजिटलाइजेशन में सहायक:
आधुनिक
युग में, हिंदी का प्रसार डिजिटल साक्षरता को बढ़ाने और देश के सभी कोनों को इंटरनेट
और अन्य तकनीकी संसाधनों से जोड़ने के लिए आवश्यक है। डिजिटल युग में हिंदी की भूमिका
बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत में डिजिटल पहुंच और सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही
है। यह डिजिटल सामग्री के उपभोग को आसान बनाती है, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में,
और शिक्षा, व्यापार और संचार को हिंदी-भाषी आबादी तक पहुंचाती है। डिजिटल
उपकरणों और प्लेटफार्मों का उपयोग करके हिंदी में प्रभावी शिक्षण सामग्री तैयार की
जा रही है, जिससे छात्रों को बेहतर तरीके से सीखने में मदद मिलती है[8]।
डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम भी हिंदी में विकसित किए जा रहे I डिजिटल
प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया ने हिंदी ब्लॉगिंग, यूट्यूब चैनल और डिजिटल समाचार पत्रिकाओं
को बढ़ावा दिया है। ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर हिंदी की बढ़ती मौजूदगी
ने युवा पीढ़ी को भी साहित्य और अन्य सामग्री से फिर से जुड़ने का अवसर दिया है।
·
निष्कर्ष:
हिंदी
राजभाषा के रूप में, भारत की एकता और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने वाला एक महत्वपूर्ण
सेतु है। यह एक ऐसी भाषा है जो सरल होने के कारण पूरे देश को एक सूत्र में बांधने की
क्षमता रखती है और सरकारी कामकाज के साथ-साथ आम जनता के बीच संवाद को संभव बनाती है।
यह भाषा देश की सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम है, और इसके विकास से राष्ट्रीय
एकता मजबूत होती है। अनेक भाषाएँ और विविधताएँ होने के बावजूद, हिंदी
देश को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोती है। यह एक महत्वपूर्ण संपर्क भाषा के रूप
में कार्य करती है जो लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने में मदद करती है। हिंदी न सिर्फ एक भाषा है, बल्कि भावनाओं, विचारों
और संस्कृतियों को जोड़ने का माध्यम भी है। यह देश के कोने-कोने में बोली और समझी जाती
है, जिससे अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने वाले लोग आसानी से एक-दूसरे से जुड़ पाते हैं।
हिंदी का विकास केवल भाषाई उन्नति नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण
कदम है। जब एक आम नागरिक बिना भाषा की बाधा के अपने विचार रख सकता है, तो वह व्यवस्था
से अधिक जुड़ाव महसूस करता है। इस तरह हिंदी संवाद, सहयोग और समझदारी का रास्ता खोलती
है। यह हमारी साझा विरासत है, जिसे अपनाकर हम भारत को और भी अधिक मजबूत, एकजुट और समावेशी
बना सकते हैं।
·
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