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Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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जाने क्या है वैशाख माह की पौराणिक महिमा

पाठकों चैत्र माह की पूर्णिमा एवं हनुमान जन्मोत्सव के पूर्ण होने के साथ ही वैशाख माह प्रारंभ हो ताजा है और साथ ही प्रारंभ हो जाती है वैशाख माह  के स्नान की परंपरा ।





हिन्दू  शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह किसी न किसी रुप में बहुत ही प्रभावशाली रुप से असर डालने वाला होता है. वैशाख माह में भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन तथा गंगा स्नान का बड़ा महत्व बताया  गया है,




इस महीने के आरंभ के साथ ही वैशाख माह का स्नान भी आरंभ हो जाता है.


सभी जातक तथा भक्तजन इस पर्व के दौरान पवित्र नदियों और धर्म स्थलों पर जाना शुरू कर देते है. 


वहीं इस माह के सारे दिन किसी न किसी रुप में पूजा, अर्चना एवं जप-तप के संदर्भ में बहुत ही शुभदायक कहे गए है. 


दरअसल वैशाख प्रतिपदा से ही तेज गर्मीयां शुरू होती है ऐसे में दान - पुण्य का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। 


साथ ही देश के अलग - अलग स्थानों पर इस उत्सव को भिन्न - भिन्न नामों से मनाया जाता है. पंजाब प्रांत में इसे वैशाखी का पर्व कहते है. पूर्व में असम में बिहु बिशु जैसे नाम होते है. ओडिशा में पाना संक्रांति , बंगाल में पहला वैशाख आदि नामों से मनाया जाता है ।





वैशाख माह में तीर्थ स्नान की महत्वपूर्ण तिथियाँ :- वैशाख में कुछ विशेष तिथियों पर स्नान का महत्वपूर्ण समय रहेगा.


स्कन्दपुराण के अनुसार वैशाख माह की महिमा के विषय में बताया गया है कि इसमें वैष्णव खण्ड के अनुसार वैशाख मास में किये गये शुभ कार्य अत्यंत ही प्रभावशाली फल देने में भी समर्थ होता है. इस माह की तृतीया तिथि, दशमी, एकादशी द्वादशी त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा तिथि बहुत पवित्र एवं शुभदायी मानी गयी हैं.



इन तिथियों के अनुसार स्नान, दान एवं जप - तप करने से सभी पापों का नाश हो जाता है. साथ ही हम अगर किसी कारण वश वैशाख माह के पूरे महीने में स्नान, व्रत, पूजा  आदि न भी कर पाए तो ऎसे में इन तीनों तिथियों में भी इन सभी कार्यों को कर लेने से संपूर्ण फलों की प्राप्ति होती है।



वैशाख  के महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी पर गंगा स्नान किया जाता है ।

वैशाख माह में  भगवान बुद्ध एवं परशुराम के जन्म समय की तिथियाँ वैशाख माह के स्नान के लिए अत्यंत ही शुभ मानी जाती है.


इस माह में भगवान ब्रह्मा ने तिलों का निर्माण किया था इसलिए इन दिनों तिलों का भी विशेष प्रयोग  होता है.

वैशाख माह में अक्षय तृतीया के दिन स्नान का विशेष महत्व बताया गया है.



वैशाख माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर स्नान की विशेष परंपरा है.

वैशाख पूर्णिमा को स्नान करना भी पूरे वर्ष के सभी विशेष पर्वो में से एक अत्यंत शुभ प्रभाव वाला माना गया है ।




वैशाख माह में अवश्य करें दीप दान :- वैशाख के महीने में दीप दान करने का भी बहुत महत्च बताया गया है,


इस दिन दीप का दान करने जलाश्यों के समीप एवं नदियों में तथा विभिन्न पेड़ पौधों के समक्ष किया जाता है.


दीपक के पुण्य एवं पवित्र दान को गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों पर किया जाता है. घरों में भी मुख्य दरवाजों पर दीपक जलाए जाते हैं ।


साथ ही तुलसी के पवित्र पौधे तथा पीपल एवं वट के वृक्षों के पास भी दीपक जलाने की परंपरा बहुत प्राचीन वक्त से चली आती रही है. 


दीप-दान को प्रात:काल के समय और संध्या काल के समय पर किया जाता है. दीप दान को करने के समक्ष यह मान्यता है की इसके प्रकाश से मनुष्य के जन्म - जन्मातर के सभी अंधकार रूपी पाप नष्ट एवं दूर होते हैं एवं जीवन में सकारात्मकता, पुण्य, पवित्रता का नवीश प्रकाश उदय होता है ।