Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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कल्कि धाम के शिलान्यास Tarabh, Gujarat

 जय वाड़ीनाथ! जय-जय वाड़ीनाथ। 

पराम्बा हिंगलाज माताजी की जय! हिंगलाज माताजी की जय! 

भगवान श्री दत्तात्रेय की जय! भगवान श्री दत्तात्रेय की जय! 

कैसे है आप सभी? इस गांव के पुराने जोगियों के दर्शन हुए, पुराने-पुराने साथियों के भी दर्शन हुए। भाई, वाड़ीनाथ ने तो रंग जमा दिया, वाड़ीनाथ पहले भी आया हूं, और कई बार आया हूं, परंतु आज की रौनक ही कुछ और है। दुनिया में कितना ही स्वागत हो, सम्मान हो, परंतु घर पर जब होता है, उसका आनंद ही कुछ और होता है। मेरे गांव के बीच-बीच में कुछ दिख रहे थे आज, और मामा के घर आए तो उसका आनंद भी अनोखा होता है, ऐसा वातावरण मैंने देखा है उसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि श्रद्धा से, आस्था से सराबोर आप सभी भक्तगणों को मेरा प्रणाम। देखिए संयोग कैसा है, आज से ठीक एक महीना पहले 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु राम के चरणों में था। वहां मुझे प्रभु रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक आयोजन में शामिल होने का सौभाग्य मिला। इसके बाद 14 फरवरी बसंत पंचमी को अबु धाबी में, खाड़ी देशों के पहले हिन्दू मंदिर के लोकार्पण का अवसर मिला। और अभी दो-तीन दिन पहले ही मुझे यूपी के संभल में कल्कि धाम के शिलान्यास का भी मौका मिला। और अब आज मुझे यहां तरभ में इस भव्य, दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूजा करने का समारोह में हिस्सा लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। 

साथियों, 

देश और दुनिया के लिए तो ये वाड़ीनाथ शिवधाम तीर्थ है। लेकिन रबारी समाज के लिए पूज्य गुरु गादी है। देशभर से रबारी समाज के अन्य भक्तगण आज मैं यहां देख रहा हूं, अलग-अलग राज्यों के लोग भी मुझे नज़र आ रहे हैं। मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों, 

भारत की विकास यात्रा में एक अद्भुत कालखंड है। एक ऐसा समय है, जब देवकाज हो या फिर देश काज, दोनों तेज़ गति से हो रहे हैं। देव सेवा भी हो रही है, देश सेवा भी हो रही है। आज एक तरफ ये पावन कार्य संपन्न हुआ है, वहीं विकास से जुड़े 13 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का भी शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। ये प्रोजेक्ट रेल, रोड, पोर्ट-ट्रांसपोर्ट, पानी, राष्ट्रीय सुरक्षा, शहरी विकास, टूरिज्म ऐसे कई महत्वपूर्ण विकास कामों से जुड़े हैं। और इनसे लोगों का जीवन आसान होगा और इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के, स्वरोजगार के नए अवसर बनेंगे। 

मेरे परिवारजनों, 

आज मैं इस पवित्र धरती पर एक दिव्य ऊर्जा महसूस कर रहा हूं। ये ऊर्जा, हजारों वर्ष से चली आ रही उस आध्यात्मिक चेतना से हमें जोड़ती है, जिसका संबंध भगवान कृष्ण से भी है और महादेव जी से भी है। ये ऊर्जा, हमें उस यात्रा से भी जोड़ती है जो पहले गादीपति महंत वीरम-गिरि बापू जी ने शुरू की थी। मैं गादीपति पूज्य जयरामगिरी बापू को भी आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। आपने गादीपति महंत बलदेवगिरि बापू के संकल्प को आगे बढ़ाया और उसे सिद्धि तक पहुंचाया। आप में से बहुत लोग जानते हैं, बलदेवगिरी बापू के साथ मेरा करीब 3-4 दशक का बहुत ही गहरा नाता रहा था। जब मुख्यमंत्री था, तो कई बार मुझे मेरे निवास स्थान पर उनके स्वागत का अवसर मिला। करीब-करीब 100 साल हमारे बीच वो आध्यात्मिक चेतना जगाते रहे, और जब 2021 में हमें छोड़कर चले गए, तब भी मैंने फोन करके मेरी भावनाओं को प्रकट किया था। लेकिन आज जब उनके सपने को सिद्ध होता हुआ देखता हूं, तो मेरी आत्मा कहती है- आज वो जहां होंगे, इस सिद्धि को देखकर प्रसन्न हो रहे होंगे, हमें आशीर्वाद देते होंगे। सैकड़ों वर्ष पुराना ये मंदिर, आज 21वीं सदी की भव्यता और पुरातन दिव्यता के साथ तैयार हुआ है। ये मंदिर सैकड़ों शिल्पकारों, श्रमजीवियों के बरसों के अथक परिश्रम का भी परिणाम है। इसी परिश्रम के कारण इस भव्य मंदिर में आज वाड़ीनाथ महादेव, पराम्बा श्री हिंगलाज माताजी और भगवान दत्तात्रेय विराजे हैं। मंदिर निर्माण में जुटे रहे अपने सभी श्रमिक साथियों का भी मैं वंदन करता हूं। 

भाइयों और बहनों, 

हमारे ये मंदिर सिर्फ देवालय हैं, ऐसा नहीं है। सिर्फ पूजापाठ करने की जगह हैं, ऐसा भी नहीं है। बल्कि ये हमारी हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति के, परंपरा के प्रतीक हैं। हमारे यहां मंदिर, ज्ञान और विज्ञान के केंद्र रहे हैं, देश और समाज को अज्ञान से ज्ञान की तरफ ले जाने के माध्यम रहे हैं। शिवधाम, श्री वाड़ीनाथ अखाड़े ने तो शिक्षा और समाज सुधार की इस पवित्र परंपरा को पूरी निष्ठा से आगे बढ़ाया है। और मुझे बराबर याद है पूज्य बलदेवगिरी महाराज जी के साथ जब भी बात करता था, तो आध्यात्मिक या मंदिर की बातों से ज्यादा वे समाज के बेटे-बेटियों की शिक्षा की चर्चा करते थे। पुस्तक परब के आयोजन से लोगों में जागरूकता बढ़ी है। स्कूल और हॉस्टल के निर्माण से शिक्षा का स्तर और बेहतर हुआ है। आज, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सैकड़ों विद्यार्थियों को रहने-खाने और लाइब्रेरी की सुविधा दी जा रही है। देवकाज और देश काज का इससे बेहतर उदाहरण भला क्या हो सकता है। ऐसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए रबारी समाज प्रशंसा का पात्र है। और रबारी समाज को प्रशंसा बहुत कम मिलती है। 

भाइयों और बहनों, 

आज देश सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चल रहा है। ये भावना हमारे देश में कैसे रची-बसी है, इसके दर्शन भी हमें वाड़ीनाथ धाम में होते हैं। ये ऐसा स्थान है, जहां भगवान ने प्रकट होने के लिए एक रबारी चरवाहे भाई को निमित्त  बनाया। यहां पूजापाठ का ज़िम्मा रबारी समाज के पास होता है। लेकिन दर्शन सर्वसमाज करता है। संतों की इसी भावना के अनुकूल ही हमारी सरकार आज देश में हर क्षेत्र, हर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने में जुटी है। मोदी की गारंटी, ये मोदी की गारंटी का लक्ष्य, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े देशवासी का भी जीवन बदलना है। इसलिए एक तरफ देश में देवालय भी बन रहे हैं तो दूसरी तरफ करोड़ों गरीबों के पक्के घर भी बन रहे हैं। कुछ ही दिन पहले मुझे गुजरात में सवा लाख से अधिक गरीबों के घरों के लोकार्पण का और शिलान्यास का अवसर मिला, सवा लाख घर, ये गरीब परिवार कितने आशीर्वाद देंगे, आप कल्पना कीजिए। आज देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है, ताकि गरीब के घर का भी चूल्हा जलता रहे। ये एक प्रकार से भगवान का ही प्रसाद है। आज देश के 10 करोड़ नए परिवारों को नल से जल मिलना शुरू हुआ है। ये उन गरीब परिवारों के लिए किसी अमृत से कम नहीं है, जिन्हें पहले पानी के इंतजाम में दूर-दूर तक जाना पड़ता था। हमारे उत्तर गुजरात वालों को तो पता है कि पानी के लिए कितनी तकलीफ उठानी पड़ती थी। दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर सिर पर घड़ा रखकर ले जाना पड़ता था। और मुझे याद है, जब मैंने सुजलाम-सुफलाम योजना बनाई, तब उत्तर गुजरात के कांग्रेस के विधायक भी मुझसे कहा करते थे कि साहब ऐसा काम कोई नहीं कर सकता, जो आपने किया है। यह 100 साल तक लोग भूलेंगे नहीं। उनके साक्षी यहां पर भी बैठे हैं। 

साथियों, 

बीते 2 दशकों में हमने गुजरात में विकास के साथ-साथ विरासत से जुड़े स्थानों की भव्यता के लिए भी काम किया है। दुर्भाग्य से आज़ाद भारत में लंबे समय तक विकास और विरासत, उसके बीच टकराव पैदा किया गया, दुश्मनी बना दी। इसके लिए अगर कोई दोषी है, तो वही कांग्रेस हैं, जिन्होंने दशकों तक देश पर शासन किया। ये वही लोग हैं, जिन्होंने सोमनाथ जैसे पावन स्थल को भी विवाद का कारण बनाया। ये वही लोग हैं, जिन्होंने पावागढ़ में धर्म ध्वजा फहराने की इच्छा तक नहीं दिखाई। ये वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक मोढेरा के सूर्यमंदिर को भी वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देखा। ये वही लोग हैं, जिन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर भी सवाल उठाए, उनके मंदिर निर्माण को लेकर रोड़े अटकाए। और आज जब जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है, जब पूरा देश इससे खुश है, तो भी नकारात्मकता को जीने वाले लोग नफरत का रास्ता छोड़ नहीं रहे हैं। 

भाइयों और बहनों, 

कोई भी देश अपनी विरासत को सहेज कर ही आगे बढ़ सकता है। गुजरात में भी भारत की प्राचीन सभ्यता के अनेक प्रतीक चिन्ह हैं। ये प्रतीक इतिहास को समझने के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपने मूल से जोड़ने के लिए भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए हमारी सरकार का ये निरंतर प्रयास रहा है कि इन प्रतीकों को सहेजा जाए, इन्हें विश्व धरोहरों के रूप में विकसित किया जाए। अब आप देखिए वडनगर में खुदाई में नया-नया इतिहास कैसे सामने आ रहा है। पिछले महीने ही वडनगर में 2800 साल पुरानी बस्ती के निशान मिले हैं, 2800 साल पहले लोग वहां रहते थे। धोलावीरा में भी कैसे प्राचीन भारत के दिव्य दर्शन हो रहे हैं। ये भारत के गौरव हैं। हमें अपने इस समृद्ध अतीत पर गर्व है।

साथियों,

आज नए भारत में हो रहा हर प्रयास, भावी पीढ़ी के लिए विरासत बनाने का काम कर रहा है। आज जो नई और आधुनिक सड़कें बन रही हैं, रेलवे ट्रैक बन रहे हैं, ये विकसित भारत के ही रास्ते हैं। आज मेहसाणा की रेल कनेक्टिविटी और मजबूत हुई है। रेल लाइन के दोहरीकरण से, अब बनासकांठा और पाटन की कांडला, टुना और मुंद्रा पोर्ट से कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। इससे नई ट्रेन चलाना भी संभव हुआ है और मालगाड़ियों के लिए भी सुविधा हुई है। आज डीसा के एयरफोर्स स्टेशन के रनवे उसका भी लोकार्पण हुआ है। और भविष्य में ये सिर्फ रनवे नहीं, भारत की सुरक्षा का एयरफोर्स का एक बहुत बड़ा केंद्र विकसित होने वाला है। मुझे याद है मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने इस प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार को ढ़ेर सारी चिट्ठियाँ लिखी थीं, अनेक बार प्रयास किया था। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इस काम को, इस निर्माण को रोकने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। एयरफोर्स के लोग कहते थे कि ये लोकेशन भारत की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन नहीं करते थे। 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस सरकार इसकी फ़ाइलों को लेकर बैठी रही। डेढ़ साल पहले मैंने इस रनवे के काम का शिलान्यास किया था। मोदी जो संकल्प लेता है, वो पूरे करता है, डीसा के ये रनवे आज उसका लोकार्पण हो गया, ये उसका उदाहरण है। और यही तो है मोदी की गारंटी।

साथियों,

20-25 साल पहले का एक वो भी समय था, जब उत्तर गुजरात में अवसर बहुत ही सीमित थे। तब किसानों के खेतों में पानी नहीं था, पशुपालकों के सामने अपनी चुनौतियां थीं। औद्योगीकरण का दायरा भी बहुत सीमित था। लेकिन भाजपा सरकार में आज स्थितियां लगातार बदल रही हैं। आज यहां के किसान साल में 2-3 फसल उगाने लगे हैं। पूरे इलाके का जल स्तर भी ऊंचा उठ गया है। आज यहां जल आपूर्ति और जल स्रोतों से जुड़ी 8 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया है। इन पर 15 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। इससे उत्तर गुजरात की पानी की समस्याओं को दूर करने में और मदद लेगी। उत्तर गुजरात के किसानों ने टपक सिंचाई जैसी आधुनिक टेक्नॉलॉजी को जैसे अपनाया है, वो अद्भुत है। अब तो मैं यहां देख रहा हूं कि केमिकल मुक्त, प्राकृतिक खेती का चलन भी बढ़ने लगा है। आपके प्रयासों से पूरे देश में किसानों का उत्साह बढ़ेगा।

भाइयों और बहनों, 

हम इसी तरह विकास भी करेंगे और विरासत भी सहेजेंगे। अंत में इस दिव्य अनुभूति का भागीदार बनाने के लिए मैं एक बार फिर आप सभी साथियों का आभार व्यक्त करता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद ! मेरे साथ बोलिए- 

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

धन्यवाद।

 

डिस्क्लेमर: प्रधानमंत्री के भाषण का कुछ अंश कहीं-कहीं पर गुजराती भाषा में भी है, जिसका यहाँ भावानुवाद किया गया है। 

 

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