Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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आज मनाई जाएगी देश भर में होली के बाद की होली भाई - दूज


दोस्तों होली के पश्चात अब देश भर में भाई बहन अपना रिश्ता मजबूत करने के लिए भाई दूज मनाने की तैयारियाँ करने में लग गए हैं,  हम आपको बता दें कि हर वर्ष भाई दूज का त्योहार दो बार आता है ।


एक तो दीपावली और दूसरा अब होली के पश्चात शास्त्रों के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पवित्र पर्व मनाया जाता है। 


होली भाई दूज कहा जाता है :- 

होली के दो दिन पश्चात मनाए जाने वाले इस भाई दूज के पवित्र पर्व को होली भाई दूज  के नाम से भी जाना जाता है। तथा शास्त्रों अनुसार इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।



भाई दूज का शुभ मुहुर्त :- होली के उल्लास पूर्ण पर्व के पश्चात ही एक दिन बाद होली भाई दूज मनाई जाती है एवं इस साल होली 18 मार्च 2022 को मनने के बाद, भाई दूज 19 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. द्वितीया तिथि 19 मार्च को दोपहर 2:07 बजे से शुरू होकर 20 मार्च 2022 को दोपहर 12:36 बजे  ही पूर्ण हो जाएगी ऐसे में द्वितीया तिथि में सूर्य उदय होने के कारण भाईदूज 20 मार्च 2022 को ही मनायी जाएगी । तथा इसके लिए सबसे उपयुक्त समय 12.10 से 12.58  तक रहेगा ।



होली भाई दूज की कथा :-


भाई दूज का पर्व भाइयों एवं बहनों के बंधन तथा स्नेह का जश्न मनाता है, इस दिन सभी बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं. 


भाई दूज के इस पावन उत्सव के पीछे एक कथा भी है जिसमें यमराज और उनकी बहन यमी, अर्थात भगवान विवस्वत के बच्चे, सूर्य भगवान का एक पहलू शामिल हैं, यमराज सदैव कार्य में व्यस्त रहते थे तथा इसी कारण वे कभी भी अपनी बहन यमी से नहीं मिल पाते थे. 


परंतु अपनी बहन यमी के बार - बार कहने के और लगातार कहने के कारण भगवान यमराज ने एक दिन उनके घर आकर के उनको आश्चर्यचकित कर दिया ।


अपने भाई यम के यहां आने के अवसर पर यमी ने अपने भाई के लिए कई प्रकार  के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए तथा फिर उसने उनके मस्तक  पर तिलक लगा कर रक्षासूत्र बांधा तथा दोपहर के भोजन में उनके लिए विभिन्न प्रकार के भोजन बनाए ।


अपनी बहन यमी के इस प्रकार के समर्पण तथा स्नेह से प्रभावित होकर भगवान यमराज ने अपनी प्रिय बहन यमी से एक इच्छा मांगने को कहा तब यमी ने अपने भाई को हर वर्ष उनसे मिलने के लिए कहा बस तब से इसी प्रतिबद्धता की स्मृति में हर साल होली भाई दूज मनाई जाती है और यह तब से ही महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय हो गया है।





होली भाई दूज की दूसरी कथा :- पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक प्राचीन नगर  में एक बुढ़िया रहा करती थी, उसकी दो संतानें थीं, 





एक बेटा तथा एक बेटी उस बुढ़िया ने अपनी बेटी का विवाह कर दिया, अपनी  बहन के विवाह हो जाने के पश्चात जब होली भाई दूज का पर्व आया तब उस भाई ने अपनी माता  से कहा कि वह बहन के घर जाकर तिलक करवाना चाहता है तब उसकी माँ  ने भी इस बात के लिए हामी भर दी, अपनी माँ की आज्ञा पाकर बेटा जंगल के रास्ते होता हुआ अपनी बहन के घर ही जा रहा था...



कि तभी रास्ते में उसे बहुत सारी तकलीफों का सामना करना पड़ा जिनमें पहले तो उसे एक नदी मिली, वे  नदी उससे बोली कि में तो तेरा काल हूँ, तब उस बुढ़िया के बेटे ने कहा, मुझे मेरी बहन से तिलक करा लेने दो, फिर उसके पश्चात मेरे प्राण हर लेना फिर आगे जाकर उसे शेर मिला तब उस लड़के ने शेर से भी यही कहा  इसके बाद एक साँप उसे डसने चला तब उसने सांप को भी यही बताया और आख़िरकार इन सबके पश्चात वो किसी तरह अपनी बहन के घर पहुँच पाया ।




उस वक्त उसकी बहन सूत काट रही थी एवं वो अपनी बहन को आवाज लगाता है पर वो उसकी आवाज को अनसुना कर जाती है, परंतु जब लड़का  दुबारा आवाज लगाता है तब  बहन बाहर आ जाती है. इस के पश्चात वह भाई अपनी बहन से तिलक करवाता है और वहाँ से वापिस चलने की तैयारी करने में लग जाता है तब अपने भाई के चेहरे पर यू मायूसी देखने के बाद वो बहन कारण पूछती है, तब वो उसे सारी बाते बताता है  इसके पश्चात बहन कहती है कि कुछ देर यही रुको भाई, मैं अभी जल पीकर आती हूँ,


और तब वो एक तालाब के पास जाती है वहाँ पर उसे एक बुढ़िया मिलती है और वो उस बुढ़िया को सारा वृतांत सुनाती है, यह सब सुनकर बुढ़िया कहती है कि ये तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है, ऐसे में अगर तू अपने भाई का विवाह होने तक उसके ऊपर आने वाली इन सब परेशानियों एवं कष्टो को टाल देगी, तो तब फिर तेरे भाई को फिर कुछ नहीं होगा ।


इसके पश्चात वे अपने भईया  के समीप जाती है तथा बताती है कि में तुझे घर छोड़ने के लिए तेरे लिए साथ चलूँगी ।



फिर रास्ते में वह अपने भाई को खाने वाले शेर के लिए मांस का टुकड़ा, सांप के लिए पीने का दूध तथा नदी के लिए ओढ़नी लेकर जाती है एवं सभी शत्रुओं से अपने भाई को बचा लेती है, 



तब इन सब के बाद वह अपने भाई का विवाह करवाती है तथा भाई को सारी विपदाओं से बलाओं से बचा लेती है, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन इस कथा को सुनने के पश्चात ही भाई का तिलक करना चाहिए. इससे भाई पर आयी सारी मुसीबतें टल जाती हैं एवं उसे लंबी आयु की प्राप्ती होती है, वह दीर्घायु होता है।