Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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आईआईटी कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन

 मैं इतना गंभीर रहना जरुरी होता है क्या? काफी सूचनाएं दी गई ऐसा लग रहा है। आप सभी को नमस्कार ! कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, डॉक्टर के राधाकृष्णन जी, प्रोफेसर अभय करंदिकर जी, IIT कानपुर के प्रोफेसर्स, सभी स्टूडेंट्स, अन्य महानुभाव, और इस ऐतिहासिक संस्थान से डिग्री प्राप्त कर रहे सम्मानित हो रहे अन्य सभी महानुभाव ! आज कानपुर के लिए दोहरी खुशी का दिन है। आज एक तरफ कानपुर को मेट्रो जैसी सुविधा मिल रही है, वहीं दूसरी ओर IIT कानपुर से टेक्नोलॉजी की दुनिया को आप जैसे अनमोल उपहार भी मिल रहे हैं। मैं अपने हर युवा साथी को ढेरों शुभकामनायें देता हूँ। आज जिन Students को सम्मान मिला है, उन्हें भी बहुत-बहुत बधाई। आप आज जहां पहुंचे हैं, आपने जो योग्यता हासिल की है, उसके पीछे आपके माता-पिता, आपके परिवार के लोग, आपके टीचर्स, आपके प्रोफेसर्स ऐसे अनगिनत लोग होंगे उन सभी की बहुत मेहनत रही है, कुछ- न- कुछ योगदान रहा है । मैं उन सभी का भी विशेषकर आपके माता- पिता का हृदय से अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

आपने जब IIT कानपुर में प्रवेश लिया था और अब जब आप यहां से निकल रहे हैं, तब और अब में, आप अपने में बहुत बड़ा परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। यहां आने से पहले एक Fear of Unknown होगा, एक Query of Unknown होगी। पहले आपकी Knowledge, आपकी Queries का दायरा आपका स्कूल-कॉलेज, आपके मित्र, आपका परिवार, आपके अपनों के बीच सिमटा हुआ था। IIT कानपुर ने आपको उससे बाहर निकालकर एक बहुत बड़ा कैनवास दिया है। अब Fear of Unknown नहीं है, अब पूरी दुनिया को Explore करने का हौसला लेकर के आगे बढ़ रहे हैं। अब Query of Unknown नहीं है, अब Quest for the best है, पूरी दुनिया पर छा जाने का सपना है। और जितनी Learning आपकी Classroom में हुई, या जितना आपको अपनी क्लास में सीखने को मिला, उतना ही आपने अपने Classroom के बाहर, अपने साथियों के बीच Experience किया है। Classroom में आपके विचारों का, आपके Ideas का विस्तार हुआ। Classroom के बाहर आपके व्यक्तित्व का विस्तार हुआ, आपकी Personality विकसित हुई है। आपने IIT कानपुर में जो अर्जित किया, जो विचार समृद्ध हुए, वो एक ऐसी मजबूत Foundation है, Force है, जिसकी शक्ति से आप जहां भी जाएंगे वहां कुछ नया करेंगे, अनोखा करेंगे, कुछ Value Addition करेंगे। आपकी आज की ट्रेनिंग, आपकी Skill, आपकी Knowledge, आपका ज्ञान, निश्चित तौर पर आपको Practical World में मजबूती से जगह बनाने में बहुत मदद करेगा। लेकिन यहां आपका जो व्यक्तित्व विकसित हुआ है, वो आपको ऐसी ताकत देगा, जिससे आप Society as a whole उसका भला करेंगे, अपने समाज, अपने देश को एक नया सामर्थ्य देंगे।

साथियों,

आपने यहां IIT की भव्य Legacy के Historical Period को जिया है। आपने विविधताओं से भरे भारत के वैभव के साथ, वर्तमान को जिया है। भव्य Legacy और Vibrant Present, इन दो पिलर्स पर, इन दो पटरियों पर आज आप अपने उज्ज्वल भविष्य की यात्रा शुरू कर रहे हैं। ये यात्रा शुभ हो, देश के लिए सफलताओं से भरी हो, आज जब आपके बीच हूँ तो मैं यहीं कहूँगा मेरी आप सबसे यही कामना रहेगी।

साथियों,

इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश किया है। हम सभी अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आपने जिस शहर में अपनी डिग्री पाई है, उस कानपुर का अपना शानदार इतिहास रहा है। कानपुर भारत के उन कुछ चुनिंदा शहरों में से है, जो इतना diverse है। सत्ती चौरा घाट से लेकर मदारी पासी तक, नाना साहब से लेकर बटुकेश्वर दत्त तक, जब हम इस शहर की सैर करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे हम स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों के गौरव की, उस गौरवशाली अतीत की सैर कर रहे हैं। इन स्मृतियों के बीच, आप सभी पर देश को अगले 25 वर्षों तक दिशा देने, देश को गति देने का दायित्व है। आप कल्पना करिए, जब 1930 में दांडी यात्रा शुरू हुई थी, तब उस यात्रा ने उस Time Period को, पूरे देश को कितना आंदोलित कर दिया था। उस समय देश जितना Charged था, उसने आजादी के लिए भारत के जन-जन में एक अभूतपूर्व विश्वास पैदा कर दिया था, हर भारतवासी के मन में विजय का विश्वास भर दिया था। 1930 के उस दौर में जो 20-25 साल के नौजवान थे, 1947 तक उनकी यात्रा और 1947 में आजादी की सिद्धि, उनके जीवन का Golden Phase थी। आज आप भी एक तरह से उस जैसे ही Golden Era (एरा) में कदम रख रहे हैं। यह golden era है आपके लिए, जैसे ये राष्ट्र के जीवन का अमृतकाल है, वैसे ही ये आपके जीवन का भी अमृतकाल है। अमृत महोत्सव की इस घड़ी में जब आप IIT की Legacy लेकर निकल रहे हैं तो उन सपनों को भी लेकर निकलें, कि 2047 का भारत कैसा होगा। आने वाले 25 सालों में, भारत की विकास यात्रा की बागडोर आपको ही संभालनी है। जब आप अपने जीवन के 50 साल पूरे कर रहे होंगे, उस समय का भारत कैसा होगा, उसके लिए आपको अभी से ही काम करना होगा। और मुझे पता है, कानपुर IIT ने, यहां के माहौल ने आपको वो ताकत दी है, कि अब आपको अपने सपने पूरे करने से कोई रोक नहीं सकता। ये दौर, ये 21वीं सदी, पूरी तरह Technology Driven है। इस दशक में भी Technology, अलग-अलग क्षेत्रों में अपना दबदबा और बढ़ाने वाली है। बिना Technology के जीवन अब एक तरह से अधूरा ही होगा। ये जीवन और Technology की स्पर्धा का युग है और मुझे विश्वास है कि इसमें आप जरूर आगे निकलेंगे। आपने अपनी नौजवानी के इतने महत्वपूर्ण वर्ष Technology का एक्सपर्ट बनने में लगाए हैं। आपके लिए इससे बड़ा अवसर और क्या होगा? आपके पास तो भारत के साथ ही, पूरे विश्व में Technology के क्षेत्र में योगदान करने का बहुत बड़ा अवसर है।

साथियों,

हमारी IITs तो हमेशा talent और technology की incubation center रही हैं और IIT कानपुर की तो अपनी एक अलग ही reputation है। आपने अपनी खुद की कंपनी Aqua-front Infrastructure के जरिए बनारस के खिड़किया घाट पर दुनिया का जो पहला फ्लोटिंग सीएनजी फिलिंग स्टेशन विकसित किया है, वो बेहतरीन है। इसी तरह, आपने एग्रिकल्चर के क्षेत्र में state of art technology विकसित की है, दुनिया की पहली portable soil testing kit बनाई है। 5G technology में तो IIT कानपुर का काम ग्लोबल स्टैंडर्ड्स का हिस्सा बन चुका है। ये संस्थान ऐसी अनेक सफलताओं के लिए बधाई का पात्र है। ऐसे में, आपकी जिम्मेदारियाँ भी कई गुना बढ़ गई हैं। आज Artificial Intelligence के क्षेत्र में, energy and climate solutions में, हाईटेक infrastructure के क्षेत्र में देश के सामने बहुत बड़ा स्कोप है। हेल्थ जैसे सेक्टर भी आज technology driven होते जा रहे हैं। हम एक डिजिटल diagnosis के era में, robot assisted treatment के era में पैर रख रहे हैं। हेल्थ devices अब घर की essentials बन गई हैं। Disaster management में चुनौतियों का सामना भी हम technology के जरिए ही कर सकते हैं। आप कल्पना करिए, हम कितनी व्यापक संभावनाओं के गेट पर खड़े हैं। ये संभावनाएं आपके लिए हैं, इनमें आपकी बहुत बड़ी भूमिका है। ये आपके लिए देश के प्रति केवल जिम्मेदारियाँ नहीं हैं, बल्कि ये वो सपने हैं जिन्हें हमारी कितनी ही पीढ़ियों ने जिया है। लेकिन, उन सपनों को साकार करने का, एक आधुनिक भारत बनाने का वो सौभाग्य आपको मिला है, आपकी पीढ़ी को मिला है।

साथियों,

आज आप 21वीं सदी के जिस कालखंड में है, वो बड़े लक्ष्य तय करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए पूरी शक्ति लगा देने का है। जो सोच और attitude आज आपका है, वही attitude देश का भी है। पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज सोच कुछ कर गुजरने की, काम करके नतीजे लाने की है। पहले अगर समस्याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए संकल्प लिए जाते हैं। समाधान वो भी, स्थायी। Stable solutions! आत्मनिर्भर भारत इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।

साथियों,

हम सभी ने देखा है कि परिवार में भी जब कोई 20-22 साल का हो जाता है तो घर के बड़े-बुजुर्ग बार-बार सुनाते हैं कि अब समय आ गया है, अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। और मुझे पक्का विश्वास है आप जब यहां से घर जाओगे ज़रा मिलने के लिए माता- पिता को तो पहला यही सुनोगे के भई अब मेरा काम पूरा हो गया। अब अपने पैरों पर खड़े हो जाना। हर माँ- बाप यही कहने वाले हैं और अगर देर कर दी तो बार-बार सुनने को मिलेगा। घर के बड़े-बुजुर्ग, माता-पिता, ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आप आत्मनिर्भर बनें, आप अपने सामर्थ्य को पहचाने, आप सपने देखें, उनको संकल्प में परिवर्तित करें और जी- जान से उसे सिद्ध करके रहें। हमारे भारत ने भी तो आजादी के बाद अपनी यात्रा नए सिरे से शुरू की थी। जब देश की आजादी को 25 साल हुए, तब तक हमें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बहुत कुछ कर लेना चाहिए था। तब से लेकर अब तक बहुत देर हो चुकी है, देश बहुत समय गंवा चुका है। बीच में 2 पीढ़ियां चली गईं इसलिए हमें 2 पल भी नहीं गंवाना है।

साथियों,

मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही होगी और वो स्वभाविक है आपको अधीरता लगती भी होगी। लेकिन मैं चाहता हूं और जब आप कानपुर की धरती पर आप सबके बीच में आया हूँ, तो मेरा मन करता है आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर बनें। आत्मनिर्भर भारत, पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप ही है, जहां हम किसी पर भी निर्भर नहीं रहेंगे। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- Every nation has a message to deliver, a mission to fulfill, a destiny to reach. यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरे करेगा, अपनी Destiny तक कैसे पहुंचेगा?

साथियों,

आप ये कर सकते हैं। मेरा आप पर भरोसा है। और मैं जब आज इतनी बातें कह रहा हूं, इतनी चीजें कर रहा हूं, तो मुझे उनमें आपका चेहरा नजर आता है। आज देश में जो एक के बाद एक बदलाव हो रहे हैं, उनके पीछे मुझे आप ही का चेहरा नजर आता है। आज जो लक्ष्य देश तय कर रहा है, उसकी प्राप्ति की शक्ति भी देश को आपसे ही मिलेगी। आप ही हैं जो ये करेंगे और आपको ही ये करना है। ये अनंत संभावनाएं आपके लिए ही हैं, और आपको ही इन्हें साकार करना है। देश जब अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, उस सफलता में आपके पसीने की महक होगी, आपके परिश्रम की पहचान होगी। और आप ये भली-भांति जानते हैं कि बीते वर्षों में किस तरह आत्मनिर्भर भारत की नींव तैयार करने के लिए, आपका काम आसान करने के लिए, देश ने किस तरह काम किया है। पिछले 7 सालों में देश में स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया जैसे प्रोग्राम शुरू हुए हैं। अटल इनोवेशन मिशन, और पीएम रिसर्च फ़ेलोशिप के जरिए देश युवाओं के लिए नए रास्ते बना रहा है। National Education policy के साथ futuristic temperament की नई पीढ़ी को तैयार करने की शुरुआत हो रही है। Ease of doing business को सुधारा गया, पॉलिसी blockage दूर किए गए, इन प्रयासों के परिणाम इतने कम समय में आज हमारे सामने हैं। आजादी के इस 75वें साल में हमारे पास 75 से अधिक unicorns हैं, पचास हजार से अधिक स्टार्ट-अप हैं। इनमें से दस हजार स्टार्टअप तो केवल पिछले 6 महीनों में आए हैं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनकर उभरा है। कितने स्टार्टअप्स तो हमारी IITs के युवाओं ने ही शुरू किए हैं। अभी हाल ही की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के कई विकसित देशों को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे बड़ा यूनिकॉर्न कंट्री बन गया है।

साथियों,

आजकल Globalization की बात होती है, उसके पक्ष-विपक्ष पर भी बात होती है। लेकिन एक बात पर कोई विवाद नहीं है। कौन भारतीय नहीं चाहेगा कि भारत की कंपनियां Global बनें, भारत के Product Global बनें। जो IIT’s को जानता है, यहां के टैलेंट को जानता है, यहां के प्रोफेसर्स की मेहनत को जानता है, वो ये विश्वास करता है ये IIT के नौजवान जरूर करेंगे। और मैं आज, आपको, ऐसे प्रोफेशनल्स को ये भी भरोसा देना चाहता हूं कि सरकार हर तरीके से आपके साथ है।

साथियों,

एक और जरूरी बात आपको याद रखनी है। आज से शुरू हुई यात्रा में आपको सहूलियत के लिए शॉर्टकट भी बहुत लोग बताएँगे। लेकिन मेरी सलाह यही होगी कि आप comfort और challenge में अगर चुनना है तो मैं आग्रह करुँगा comfort मत challenge जरुर चुनना। क्योंकि, आप चाहें या न चाहें, जीवन में चुनौतियाँ आनी ही हैं। जो लोग उनसे भागते हैं वो उनका शिकार बन जाते हैं। But if you are looking for challenges, you are the hunter and the challenge is the hunted. इसलिए, आपको एक ऐसा इंसान बनना है जो problems को तलाशता है, और अपने मुताबिक, अपनी choice से उनके solutions निकालता है। Friends, आप सभी students, IIT के finest tech minds हैं। You all eat, drink, breathe technology. आप लगातार innovations में लगे रहते हैं। फिर भी, इन सबके बीच, मेरा आपसे एक आग्रह भी है। Technology की अपनी ताकत होती है, उसमें कोई बुराई नहीं और ये आपका passion भी है। लेकिन टेक्नोलॉजी की दुनिया में रहते हुए आप human elements of life को कभी मत भूलिएगा। आप अपने स्वयं के robot versions कभी नहीं बनिएगा। आप अपनी मानवीय संवेदनाओं, अपनी कल्पनाओं, अपनी creativity और curiosity को हमें जिंदा रखिए। अपने जीवन में उन चीजों को भी महत्व दीजिएगा, जो जरूरी नहीं कि हमें टेक्नोलॉजी की मदद से ही मिलती हों। आप Internet of things पर जरूर काम करिएगा लेकिन emotion of things को भूल मत जाइएगा। आप artificial intelligence के बारे में जरूर सोचिएगा लेकिन human intelligence को भी याद रखिएगा। आप coding करते रहिएगा लेकिन लोगों के साथ अपना connect भी बनाए रखिएगा। अलग-अलग लोगों से, अलग-अलग कल्चर के लोगों से आपका जुड़ाव, आपके व्यक्तित्व की ताकत ही बढ़ाएगा। ये नहीं होना चाहिए कि जब emotion दिखाने की बात आए, तो आपका मस्तिष्क करे - H.T.T.P 404 - page not found. जब बात Sharing की हो sharing of joy और kindness की हो, तो कभी कोई password नहीं रखिएगा, खुले दिल से Life को Enjoy करिएगा। वैसे मैंने जो अभी Sharing of joy की बात की है, तो मुझे पता है कि ये शब्द आपको बहुत कुछ याद भी दिला रहा है। सागर ढाबा और केरला कैफे की गपशप यहां के Campus Restaurant का स्वाद C.C.D की कॉफी O.A.T पर काठी रोल्स और M.T पर चाय और जलेबी, Tech-Kriti और अंतरंगिनी भी आपको बहुत याद आने वाले हैं। जीवन इसी का नाम है। जगहें बदलती हैं, लोग मिलते हैं-बिछड़ते हैं, लेकिन जीवन चलता रहता है। इसी को कहते हैं- चरैवेति चरैवेति चरैवेति। मैं अभी देख रहा हूं कि कई सारे Students, दूसरे लेक्चर हॉल में भी हमारे साथ जुड़े हुए हैं, कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से, वो वहीं से मुझे सुन रहे हैं। अगर आप लोगों की अनुमति होगी और आपके इस प्रोटोकॉल में कोई तकलीफ न हो मैं अभी उनसे मिलने भी जाऊंगा, मैं उनसे रू-ब-रू मिलूंगा। आप अपने करियर में सफल हों, आपकी सफलता, देश की सफलता बने, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। आप सभी को एक बार फिर बहुत बहुत शुभकामनाएँ। बहुत- बहुत धन्यवाद !