Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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क्या हमने कभी सोचा है कि एक अनाथ का जीवन कैसा होता है?

हमें लगता है कि हम कितनी मुसीबत में हैं, हमारे जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं।लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि क्या हम अनाथों की तरह जी सकते हैं,क्या हम अपने परिवार के बिना रह सकते हैं, क्या हम घर के बिना रह सकते हैं, क्या हम अपनों के प्यार के बिना जी पाएंगे?अगर हमें इन सबका जवाब नहीं पता है तो हमें अनाथों से बात करनी चाहिए, उनसे पूछना चाहिए कि अनाथ होना कैसा होता है।अनाथ होना कितना दुखद है।हम अक्सर अपनी परेशानियों में भूल जाते हैं कि हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी चीज है और वह है हमारा परिवार।हमें परिवार से पहचान मिली है, परिवार का साथ मिला है, रहने के लिए घर मिला है, अपनों का प्यार मिला है,हमें हर दुख और सुख का साथी मिला है, हर समस्या से लड़ने की ताकत मिली है।और जो अनाथ हैं उन्हें यह सब भी नहीं मिला है, वे किसके बच्चे हैं, उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके माता-पिता कौन हैं, उनका परिवार कौन है।अनाथों के सुख-दुख में कोई खड़ा नहीं होने वाला है, हमारा समाज उन्हें अनाथ समझकर इतना सम्मान नहीं देता।वे किस जाति के हैं, यह कहकर उन्हें नहीं अपनाते।आप सभी जानते हैं कि अगर हम गिरते हैं तो हम खड़े भी हो सकते हैं क्योंकि हमारा परिवार हमारा सहारा होगा।लेकिन अगर अनाथ गिर जाता है, तो वह सोच-समझकर आगे बढ़ेगा क्योंकि उसका साथ देने वाला कोई नहीं है।इसलिए ज्यादातर अनाथ सोचते हैं कि उन्हें बहुत अमीर बनना चाहिए ताकि उन्हें सम्मान मिले।अक्सर जब हम गुस्से में होते हैं तो अपने परिवार से झगड़ने लगते हैं, तो हम सोचते हैं कि अगर हम आज अनाथ होते तो अपने हिसाब से अपना जीवन जीते।लेकिन अनाथ होने का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी मर्जी से अपना जीवन जी सकते हैं।क्योंकि अनाथ होना अपनी मर्जी का जीवन जीना है, तो हम गलत सोचते हैं, देखना चाहिए कि जब उनके पास भोजन नहीं है, तो वे भूख से पीड़ित हैं,हमारी तरह अच्छे कपड़े नहीं पहन पा रहे हैं, हमारी तरह अपने परिवार के साथ त्योहार नहीं मना पा रहे हैं।उनके पास रात को सोने के लिए अपना घर तक नहीं है।लेकिन अनाथ बच्चों के लिए भी अनाथालय खोले गए हैं,अनाथ बच्चों के लिए कई संस्थान खोले गए हैं।और कई अनाथालय हैं जो अनाथ बच्चों को ढेर सारा प्यार और सहारा देते हैं।और आज के समय में जानवर भी अनाथ घूमते हैं, हमारे घर के बुजुर्गों की सेवा के लिए अनाथालय भी खोले गए हैं।आज के समय में यह सच है कि हर किसी के जीवन में समस्याएं आती हैं, हमारे पास समय नहीं होता है,लेकिन हमें अनाथ बच्चों के लिए कुछ समय निकालना चाहिए, जितना हो सके उनकी मदद करनी चाहिए।और अगर हम वास्तव में अनाथों की मदद करना चाहते हैं, तो हमें अनाथों की पढ़ाई के लिए उनकी मदद करनी चाहिए।क्योंकि अगर हम उनकी पढ़ाई में मदद करें तो यह उनके पूरे जीवन के लिए उपयोगी होगा।क्योंकि समय आने पर भोजन और धन समाप्त हो जाता है, लेकिन ज्ञान कभी समाप्त नहीं होता, ज्ञान एक ऐसा धन है जो समय के साथ बढ़ता रहता है।तो कृपया, अगर हम अनाथों को उनकी पढ़ाई में मदद करने में सक्षम हैं, तो हमें ऐसा करना चाहिए क्योंकि एक अनाथ को ज्ञान देना मंदिर में दान करने जैसा है।