Shweta Pandey & Dr. Shailendra Singh
सारांश - रेडियो रमन, छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाओं के लिए एक सशक्त सामुदायिक संचार माध्यम के रूप में उभरा है, जिसने मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत शोध का उद्देश्य यह विश्लेषण करना है कि रेडियो रमन के कार्यक्रमों द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ किस प्रकार महिलाओं के व्यवहार, दृष्टिकोण और जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। 57ः उत्तरदाता सहमत या दृढ़तापूर्वक सहमत हैं कि रेडियो रमन स्थानीय सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य पर चर्चा करता है। इसका अर्थ है कि यह माध्यम न केवल सूचना का प्रसार करता है, बल्कि परंपरा और आधुनिकता के बीच एक सेतु की भूमिका निभाता है। इस शोध में वर्णनात्मक आँकड़ों (क्मेबतपचजपअम ैजंजपेजपबे) और परिकल्पना परीक्षण (ज.ज्मेज) का उपयोग किया गया है। परिणामों से यह स्पष्ट हुआ कि कार्यक्रमों की स्थानीय भाषा, लोककथाएँ, गीत और पारंपरिक कहावतों के प्रयोग ने ग्रामीण महिलाओं के बीच स्वास्थ्य विषयक संदेशों की स्वीकार्यता को बढ़ाया है। अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि रेडियो रमन एक प्रभावी जनसंचार उपकरण है, जो सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील प्रसारण के माध्यम से मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य सुधार में योगदान दे रहा है।
मुख्य शब्द - रेडियो रमन, मातृत्व स्वास्थ्य, शिशु देखभाल, सांस्कृतिक संदर्भ, जनसंचार माध्यम।
परिचय - भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य से संबंधित चुनौतियाँ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारकों से गहराई से जुड़ी हुई हैं। ग्रामीण अंचलों में प्रचलित पारंपरिक धारणाएँ, जैसे “गर्भावस्था में गर्म भोजन से परहेज” या “नवजात को नहलाना नहीं चाहिए”, आज भी प्रचलित हैं। इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए ऐसे जनसंचार माध्यमों की आवश्यकता रही है जो स्थानीय समाज की भाषा, संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव रखता हो। इसी संदर्भ में “रेडियो रमन” ने छत्तीसगढ़ राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कार्यक्रम स्थानीय भाषाओंकृखरियार, सरगुजिहा, और छत्तीसगढ़ीकृमें स्वास्थ्य संबंधी संदेशों का प्रसारण करता है। इस माध्यम ने महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं, पोषण, स्वच्छता, मातृत्व अवकाश, और शिशु देखभाल जैसे विषयों पर जागरूक किया है। प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह मूल्यांकन करना है कि रेडियो रमन किस सीमा तक स्थानीय सांस्कृतिक सन्दर्भों को ध्यान में रखते हुए मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने में सक्षम हुआ है। इसके लिए 300 महिलाओं के उत्तरों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है। परिणामों से यह स्पष्ट हुआ कि सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील प्रसारण ने महिलाओं की जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन दोनों को प्रोत्साहित किया है।
मुख्य विषय - रेडियो रमन का केंद्रीय उद्देश्य मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो सांस्कृतिक रूप से सुसंगत संवाद के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। अध्ययन के अनुसार, 28.67ः उत्तरदाता दृढ़तापूर्वक सहमत और 28.33ः सहमत रहे कि रेडियो रमन के कार्यक्रमों में स्थानीय संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। कार्यक्रमों में प्रयुक्त स्थानीय उदाहरण, लोकगीत, पारंपरिक नुस्खे, और दादी-नानी की कहानियाँ, स्वास्थ्य संदेशों को सरल और स्मरणीय बनाती हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि श्रोताओं को दी गई जानकारी केवल सुनी नहीं जाती, बल्कि वह उनके व्यवहार में भी परिवर्तन लाती है। रेडियो रमन का यह दृष्टिकोण पारंपरिक और आधुनिक स्वास्थ्य ज्ञान का संतुलित मिश्रण प्रस्तुत करता है। यह न केवल श्रोता समुदाय की भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाता है बल्कि उन्हें वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी को अपनाने के लिए प्रेरित भी करता है। इस प्रकार, कार्यक्रम का प्रभाव केवल शैक्षिक नहीं, बल्कि व्यवहारगत परिवर्तनकारी भी है।
शोध कार्य एवं कार्यविधि -
1. शोध का स्वरूप और उद्देश्य - यह अध्ययन वर्णनात्मक एवं विश्लेषणात्मक प्रकृति का है, जिसका उद्देश्य रेडियो रमन के माध्यम से मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य पर सांस्कृतिक संदर्भों के प्रभाव का मूल्यांकन करना है।
2. परिकल्पना
भ्₀ (शून्य परिकल्पना) रेडियो रमन स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भों को ध्यान में नहीं रखता।
भ्₁ (वैकल्पिक परिकल्पना) रेडियो रमन स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भों को ध्यान में रखकर मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।
3. नमूना चयन - अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से 300 महिला श्रोताओं का चयन किया गया। नमूना चयन च्नतचवेपअम ैंउचसपदह विधि से किया गया ताकि उन उत्तरदाताओं को सम्मिलित किया जा सके जो रेडियो रमन के नियमित श्रोता हैं।
4. डाटा संग्रहण - प्राथमिक डाटा प्रश्नावली के माध्यम से एकत्र किया गया, जिसमें पांच-बिंदु पैमाना (स्पामतज ैबंसम) का प्रयोग किया गया - दृढ़तापूर्वक सहमत (5), सहमत (4), तटस्थ (3), असहमत (2), दृढ़तापूर्वक असहमत (1)। द्वितीयक डाटा सरकारी रिपोर्ट, स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रकाशन और पूर्ववर्ती शोध से प्राप्त किया गया।
5. सांख्यिकीय उपकरण - क्मेबतपचजपअम ैजंजपेजपबे - डमंदए ैक्ए च्मतबमदजंहम
ज.ज्मेज (व्दम ैंउचसम) परिकल्पना की जांच हेतु
ब्वततमसंजपवद ।दंसलेपे सांस्कृतिक संदर्भों और स्वास्थ्य जागरूकता के संबंध हेतु
त्महतमेेपवद डवकमस प्रभाव की तीव्रता के आकलन हेतु
6. विश्लेषण प्रक्रिया - डेटा का विश्लेषण ैच्ैै सॉफ्टवेयर द्वारा किया गया। परिणामों से प्राप्त औसत (डमंद = 3.57) यह दर्शाता है कि अधिकांश उत्तरदाता रेडियो रमन के सांस्कृतिक दृष्टिकोण को स्वास्थ्य संदेशों की प्रभावशीलता से जोड़ते हैं। ज.ज्मेज के परिणाम (ज = 6.42, च ढ 0.05) शून्य परिकल्पना को अस्वीकार करते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि रेडियो रमन सांस्कृतिक रूप से अनुकूल संदेश प्रसारित कर रहा है। ब्वततमसंजपवद ब्वमििपबपमदज (त = 0.68) यह संकेत देता है कि सांस्कृतिक रूप से जुड़ी प्रस्तुति और स्वास्थ्य जागरूकता के बीच मजबूत सकारात्मक संबंध है।
7. निष्कर्ष - कार्यविधि के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि रेडियो रमन स्थानीय भाषाई और सांस्कृतिक तत्वों का उपयोग करके मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य संदेशों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करता है। इससे श्रोताओं की न केवल जागरूकता बढ़ी, बल्कि उनकी दिनचर्या और स्वास्थ्य व्यवहार में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया।
अवलोकन - डेटा के विश्लेषण से कुछ प्रमुख अवलोकन सामने आए - सांस्कृतिक संवेदनशीलता का प्रभाव 57ः उत्तरदाताओं ने माना कि स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भों ने संदेशों की ग्रहणशीलता को बढ़ाया। भाषाई जुड़ाव छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रसारित कार्यक्रमों से श्रोताओं को सहजता से समझने और अपनाने में सुविधा हुई। लोककला का उपयोग लोकगीतों, नाट्यरूपांतरणों और संवाद आधारित कार्यक्रमों ने वैज्ञानिक जानकारी को लोकप्रिय बनाया। व्यवहार परिवर्तन कई उत्तरदाताओं ने बताया कि अब वे गर्भावस्था के दौरान पोषण, टीकाकरण और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देती हैं। सामुदायिक जुड़ाव रेडियो रमन ने महिलाओं के बीच साझा अनुभवों का मंच तैयार किया, जिससे सामाजिक नेटवर्क और स्वास्थ्य-संवाद मजबूत हुए। आधुनिक और पारंपरिक संतुलन कार्यक्रमों में आधुनिक चिकित्सा जानकारी को पारंपरिक ज्ञान के साथ जोड़ने से विश्वसनीयता बढ़ी। नीतिगत समर्थन स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय संगठनों के सहयोग से रेडियो रमन ने योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी भूमिका निभाई। इन अवलोकनों से यह सिद्ध हुआ कि रेडियो रमन केवल सूचना माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक है।
विश्लेषण - सांख्यिकीय विश्लेषण से प्राप्त परिणामों ने यह स्थापित किया कि रेडियो रमन की सामग्री स्थानीय संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित है। डमंद ैबवतम (3.57) और ैजंदकंतक क्मअपंजपवद (1.12) यह दर्शाते हैं कि अधिकांश उत्तरदाता सहमत या दृढ़तापूर्वक सहमत हैं। ज.ज्मेज (च ढ 0.05) के आधार पर परिकल्पना स्वीकृत हुई। त्महतमेेपवद डवकमस में सांस्कृतिक तत्वों का बीटा मान (β = 0.42) यह बताता है कि स्थानीय सांस्कृतिक जुड़ाव स्वास्थ्य व्यवहार परिवर्तन में 42ः योगदान देता है। ब्वततमसंजपवद ब्वमििपबपमदज (त = 0.68) यह संकेत देता है कि सांस्कृतिक प्रस्तुति और स्वास्थ्य जागरूकता के बीच मजबूत संबंध है। गुणात्मक विश्लेषण में यह पाया गया कि कार्यक्रमों में प्रयुक्त “लोककथा आधारित कहानी कहने की शैली” ने वैज्ञानिक संदेशों की स्वीकार्यता को बढ़ाया है। ग्रामीण महिलाएँ अब नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण के प्रति अधिक सजग हैं। इस प्रकार, रेडियो रमन ने व्यवहार परिवर्तन, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक सशक्तिकरण को प्रेरित किया है।
निष्कर्ष - शोध के निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि रेडियो रमन ने स्थानीय सांस्कृतिक संवेदनशीलता के माध्यम से मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य सुधार में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। कार्यक्रमों में प्रयुक्त भाषा, उदाहरण और सांस्कृतिक प्रतीक श्रोताओं के जीवन से सीधे जुड़े होने के कारण अधिक प्रभावशाली सिद्ध हुए।
यह अध्ययन यह दर्शाता है कि जब जनसंचार माध्यम स्थानीय संस्कृति के अनुरूप संदेश प्रस्तुत करते हैं, तो वे समाज के सबसे दूरस्थ वर्ग तक भी प्रभावी रूप से पहुँच सकते हैं। रेडियो रमन ने मातृत्व से जुड़ी भ्रांतियों को तोड़ा, स्वच्छता, पोषण और सरकारी योजनाओं की जानकारी का प्रसार किया, जिससे स्वास्थ्य व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन संभव हुआ।
सुझाव -
रेडियो रमन में कार्यक्रमों की आवृत्ति बढ़ाकर प्रसारण को अधिक सुलभ बनाया जाए।
स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को रेडियो संवादों में सहभागी बनाया जाए।
आधुनिक चिकित्सा और पारंपरिक ज्ञान के बीच संतुलन बनाए रखते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सशक्त किया जाए।
प्रसारण के बाद श्रोताओं की प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए “फीडबैक सेगमेंट” जोड़ा जाए।
मोबाइल एप या व्हाट्सएप चैनल के माध्यम से रेडियो सामग्री को डिजिटल माध्यमों पर भी उपलब्ध कराया जाए।
ग्रामीण महिलाओं के लिए “रेडियो सखी मंडल” जैसी पहल की जाए, ताकि संवाद निरंतर बना रहे।
संदर्भ सूची -
अग्रवाल, एस. (2019), ’भारत में मातृ स्वास्थ्य और जनसंचार माध्यम’. नई दिल्ली, सेज पब्लिकेशन।
गुप्ता, आर. के. (2021), ’ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में संचार माध्यमों की भूमिका’. रायपुर, शुभम् प्रकाशन।
चैधरी, आर. (2020), ’रेडियो के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता, एक सामाजिक अध्ययन’. भोपाल, मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी।
तिवारी, पी. (2022), ’सामुदायिक रेडियो और लोकसंस्कृति’. वाराणसी, भारतीय जनसंचार केंद्र।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, (2023), ’भारत में मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य रिपोर्ट’. जिनेवा, ॅभ्व् प्रकाशन।

