Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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हिन्दी : हमारी सांस्कृतिक पहचान की धरोहर Hindi Journal

 हिन्दी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जीवन की आत्मा है। भारत की अधिकांश जनसंख्या द्वारा बोली और समझी जाने वाली हिन्दी ने राष्ट्रीय एकता और सामूहिक चेतना को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 


विश्व की प्रमुख भाषाओं में गिनी जाने वाली हिन्दी, देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और इसकी जड़ें संस्कृत भाषा से जुड़ी हुई हैं। हिन्दी साहित्य ने समाज को अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ, कविता, उपन्यास और कहानियाँ प्रदान की हैं, जिनमें तुलसीदास, सूरदास, कबीर, प्रेमचन्द और महादेवी वर्मा जैसे अमर साहित्यकारों का योगदान अविस्मरणीय है।

आज वैश्वीकरण और तकनीकी विकास के दौर में भी हिन्दी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। डिजिटल मीडिया, सिनेमा और साहित्यिक गतिविधियों में हिन्दी का प्रसार निरंतर बढ़ रहा है। यह भाषा न केवल भारत में, बल्कि विश्व के अनेक देशों में बसे भारतीय समुदाय की पहचान और सांस्कृतिक जुड़ाव का साधन है।

इस प्रकार, हिन्दी हमारे अतीत की धरोहर, वर्तमान का आधार और भविष्य की आशा है। यह हमारी आत्मा को जोड़ने वाली भाषा है, जिसे हमें गर्व के साथ संवारना और आगे बढ़ाना चाहिए।


2. साहित्य संहिता पत्रिका हेतु शोध-पत्र आमंत्रण

शोध-पत्र आमंत्रण : साहित्य संहिता (www.sahityasamhita.org)

साहित्य संहिता, एक मुक्त पहुँच (Open Access), सहकर्मी-समीक्षित (Peer-Reviewed) शोध पत्रिका है जो हिन्दी भाषा, साहित्य, संस्कृति और सामाजिक अध्ययन से संबंधित उच्चस्तरीय शोध कार्यों के प्रकाशन हेतु समर्पित है।

हम शोधार्थियों, शिक्षकों, साहित्यकारों और शोधकर्ताओं से मौलिक एवं अप्रकाशित शोध-पत्र, समीक्षाएँ और लेख आमंत्रित करते हैं।

विषय क्षेत्र :

  • हिन्दी भाषा एवं साहित्य

  • प्राचीन और आधुनिक कविता, कथा, नाटक एवं आलोचना

  • भारतीय संस्कृति, लोक साहित्य और परंपराएँ

  • तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद अध्ययन

  • शिक्षा, समाज एवं संस्कृति से जुड़े शोध विषय

प्रकाशन की विशेषताएँ :

  • ओपन एक्सेस प्रकाशन : सभी लेख विश्वभर में निःशुल्क उपलब्ध

  • त्वरित समीक्षा एवं प्रकाशन प्रक्रिया

  • प्रत्येक शोध-पत्र को DOI प्रदान किया जाएगा

  • विद्वानों हेतु राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पहुँच

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