हिन्दी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जीवन की आत्मा है। भारत की अधिकांश जनसंख्या द्वारा बोली और समझी जाने वाली हिन्दी ने राष्ट्रीय एकता और सामूहिक चेतना को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विश्व की प्रमुख भाषाओं में गिनी जाने वाली हिन्दी, देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और इसकी जड़ें संस्कृत भाषा से जुड़ी हुई हैं। हिन्दी साहित्य ने समाज को अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ, कविता, उपन्यास और कहानियाँ प्रदान की हैं, जिनमें तुलसीदास, सूरदास, कबीर, प्रेमचन्द और महादेवी वर्मा जैसे अमर साहित्यकारों का योगदान अविस्मरणीय है।
आज वैश्वीकरण और तकनीकी विकास के दौर में भी हिन्दी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। डिजिटल मीडिया, सिनेमा और साहित्यिक गतिविधियों में हिन्दी का प्रसार निरंतर बढ़ रहा है। यह भाषा न केवल भारत में, बल्कि विश्व के अनेक देशों में बसे भारतीय समुदाय की पहचान और सांस्कृतिक जुड़ाव का साधन है।
इस प्रकार, हिन्दी हमारे अतीत की धरोहर, वर्तमान का आधार और भविष्य की आशा है। यह हमारी आत्मा को जोड़ने वाली भाषा है, जिसे हमें गर्व के साथ संवारना और आगे बढ़ाना चाहिए।
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विषय क्षेत्र :
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हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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प्राचीन और आधुनिक कविता, कथा, नाटक एवं आलोचना
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भारतीय संस्कृति, लोक साहित्य और परंपराएँ
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तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद अध्ययन
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शिक्षा, समाज एवं संस्कृति से जुड़े शोध विषय
प्रकाशन की विशेषताएँ :
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