Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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Essay On Tourist Places Of Rajasthan In Hindi

प्रस्तावना–
महापंडित राहुल सांकृत्यायन कहते हैं कि ‘मनुष्य एक जंगम प्राणी है। अपने आविर्भाव के आदिचरण से ही मानव की प्रकृति घुमक्कड़ी की रही है। इसके पीछे अनेक कारण रहे हैं। आज ‘पर्यटन’ शब्द का एक विशेष अर्थ में प्रयोग हो रहा है। पर्यटन अब केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं है अपितु संसार के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था ही पर्यटन पर आधारित हो गई है।

पर्यटन का महत्त्व–
आज पर्यटन कुछ लोगों का मनोरंजक भ्रमण मात्र नहीं रह गया है। पर्यटन का अनेक दृष्टियों से उल्लेखनीय महत्त्व है। इसका सर्वाधिक महत्त्व मनोरंजन के साधन के रूप में है। प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन के साथ ही मानवीय कला–कौशल के अद्भुत नमूनों का परिचय पाने में पर्यटन अत्यन्त सहायक होता है। पर्यटन से विभिन्न देशों के निवासी एक–दूसरे के समीप आते हैं।

इससे अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव और सम्पर्क में वृद्धि होती है। छात्र ज्ञानवर्धन के लिए, व्यवसायी व्यापारिक सम्पर्क और बाजार–खोज के लिए, कलाकार आत्मतुष्टि और आर्थिक लाभ के लिए, वैज्ञानिक अनुसन्धान के लिए पर्यटन का लाभ उठा रहे हैं। पर्यटकों से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, राजस्व में वृद्धि होती है। पर्यटन ने होटल उद्योग, गाइड व्यवसाय, कुटीर उद्योग तथा खुदरा व्यापार को बहुत लाभ पहुँचाया है।

पर्यटन–मानचित्र पर राजस्थान–
यों तो भारत के अनेक प्रदेश अपने प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं, किन्तु राजस्थान का इस क्षेत्र में अपना ही महत्त्व है। भारत के पर्यटन–मानचित्र पर राजस्थान का स्थान किसी अन्य प्रदेश से कम नहीं है। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों को आकर्षित करने के कारण, आज राजस्थान ने भारत के पर्यटन–मानचित्र पर अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति को प्रमाणित कर दिया है।

राजस्थान के पर्यटन स्थल–
राजस्थान के पर्यटन स्थलों को प्राकृतिक, वास्तु–शिल्पीय तथा धार्मिक वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

(i) प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में भरतपुर का घना पक्षी विहार प्रमुख है। यहाँ शीत ऋतु में साइबेरिया जैसे अतिदूरस्थ स्थलों से हजारों पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। पक्षी–प्रेमियों और पर्यटकों के लिए यह सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। सरिस्का तथा रणथम्भौर का बाघ अभयारण्य भी महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल रहा है।

अब राजस्थान सरकार इसे पुनः नवजीवन प्रदान करने में रुचि ले रही है। इसके अतिरिक्त राजस्थान की अनेक प्राकृतिक झीलों तथा गिरिवन भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। गल्ताजी, पुष्कर, जयसमन्द, राजसमन्द आदि उल्लेखनीय झीलें हैं।

(II) वास्तुशिल्पीय पर्यटन स्थलों में राजस्थान में महल, दुर्ग और मन्दिर आते हैं। जैसलमेर, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि के राजभवन उल्लेखनीय हैं। राजस्थान में दुर्गों की भी दर्शनीय श्रृंखला है। इनमें जयपुर का नाहरगढ़, सवाई माधोपुर का रणथम्भौर, जैसलमेर का सोनार दुर्ग, बीकानेर का जूनागढ़, भीलवाड़ा का माण्डलगढ़; चित्तौड़गढ़ आदि पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

राजस्थान के मन्दिर भी वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने हैं। वाडौली मन्दिर, ओसियाँ का मन्दिर, अपूर्णा का मन्दिर, रणकपुर का जैन मन्दिर और मन्दिरों का सिरमौर आबू स्थित दिलवाड़ा के जैन मन्दिर आदि हैं। इनके अतिरिक्त चित्तौड़गढ़ स्थित कीर्तिस्तम्भ राजस्थान की पर्यटनीय कीर्ति का प्रमाण है। अजमेर की ख्वाजा साहब की दरगाह का भी पर्यटन की दष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान की अनेक प्राचीन हवेलियाँ भी दर्शनीय हैं।

उपसंहार–
पर्यटन ने राजस्थान को विश्व के मानचित्र पर महत्त्वपूर्ण स्थान दिलाया है। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक राजस्थान आते हैं। इनसे राज्य को ख्याति के अतिरिक्त उल्लेखनीय राजस्व भी प्राप्त होता है। पर्यटन विभाग एवं राजस्थानवासियों के पारस्परिक सहयोग से इस दिशा में श्रेय और प्रेय दोनों की सिद्धि हो सकती है।