Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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युद्ध और बच्चे : कम नहीं होते बच्चों के खिलाफ हिंसा

यूनिसेफ के अनुसार, 2019 में सीरियायमन और अफगानिस्तान में बच्चे विशेष रूप से जोखिम में थे।


यूनिसेफ के अनुसार पिछले एक दशक में युद्ध में बच्चों पर होने वाले हमलों में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। संगठन ने कहा कि उसने इस अवधि में युद्ध में बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन के 1,70,000 से भी ज्यादा मामलों को प्रमाणित किया है। इन आंकड़ों का मतलब है हर रोज औसतन 45 से भी ज्यादा मामले। इनमें हत्या, अपंग कर देना, यौन हिंसा, अपहरण, मानवतावादी मदद से दूर रखना, बच्चों को काम पर रखना और स्कूलों और अस्पतालों पर हमले आदि शामिल हैं।

 

2018 में संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के खिलाफ 24,000 से भी ज्यादा उल्लंघन दर्ज किये थे, जो की 2010 के आंकड़ों के मुकाबले लगभग दस गुना था। उनमें से लगभग आधे मामलों में बच्चे हवाई हमलों और लैंडमाइन और मोर्टार जैसे विस्फोटक हथियारों से या तो मारे गए या अपंग हो गए। यूनिसेफ ने यह भी कहा कि आज जितने देश युद्ध की चपेट में हैं वो तीन दशक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। 



संगठन के कार्यकारी निदेशक हेनरीएट्टा फोर ने कहा, "दुनिया भर में संघर्ष और ज्यादा लंबे चल रहे हैं, जिनकी वजह से और ज्यादा खून बह रहा है और ज्यादा युवाओं की जानें जा रही हैं। " उन्होंने यह भी कहा कि "बच्चों पर हमले थम नहीं रहे हैं क्योंकि युद्ध लड़ने वाले युद्ध के सबसे मूल सिद्धांतों में से एक का उल्लंघन करते हैं - बच्चों का संरक्षण। " उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों के खिलाफ हिंसा के और कई मामले सामने ही नहीं आते। 



 

यूनिसेफ के अनुसार, 2019 में सीरिया, यमन और अफगानिस्तान में बच्चे विशेष रूप से जोखिम में थे।  संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन ने दुनिया भर में युद्ध में शामिल पक्षों से अपील की है कि वे बच्चों के खिलाफ हिंसा और नागरिक संपत्ति को निशाना बनाना बंद करें।