Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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हिंदी पखवाड़ा : मातृभाषा के सम्मान का पर्व Hindi Pakhwada

 हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और एकता की आत्मा है। भारत जैसे बहुभाषी देश में हिंदी को एक संपर्क भाषा के रूप में अपनाया गया है, जिसने विविधता में एकता की अवधारणा को सशक्त बनाया है। हर वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है और इसके उपलक्ष्य में पूरे देशभर में हिंदी पखवाड़ा (14 सितम्बर से 28 सितम्बर) आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार, प्रयोग और महत्व को बढ़ावा देना है। 


हिंदी पखवाड़ा क्यों मनाया जाता है?

  • संवैधानिक महत्व: संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।

  • सांस्कृतिक पहचान: हिंदी हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का माध्यम है।

  • संचार की सरलता: हिंदी देश में


    सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है, जो लोगों को जोड़ने का कार्य करती है।

  • भाषाई आत्मनिर्भरता: हिंदी पखवाड़ा मनाने से प्रशासनिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक स्तर पर हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलता है।


हिंदी पखवाड़ा का उद्देश्य

  1. हिंदी के प्रयोग को सरकारी, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं में बढ़ावा देना।

  2. युवाओं और विद्यार्थियों में मातृभाषा के प्रति गौरव और सम्मान की भावना जगाना।

  3. साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में हिंदी के योगदान को रेखांकित करना।

  4. जनसंपर्क और संवाद के स्तर पर हिंदी को व्यवहारिक बनाना।


हिंदी पखवाड़ा के दौरान गतिविधियाँ

हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर सरकारी संस्थानों, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विभिन्न संगठनों में अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे–

  • निबंध लेखन प्रतियोगिता

  • भाषण एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता

  • काव्य पाठ एवं लेखन प्रतियोगिता

  • हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी और चर्चा सत्र

  • हिंदी कार्यशालाएँ और सेमिनार

  • राजभाषा हिंदी के महत्व पर व्याख्यान

इन गतिविधियों से न केवल भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ती है, बल्कि हिंदी साहित्य और संस्कृति के प्रति आकर्षण भी पैदा होता है।


हिंदी का वर्तमान स्वरूप

आज हिंदी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के प्रयास जारी हैं। हिंदी सिनेमा, साहित्य, टीवी और डिजिटल मीडिया ने भी हिंदी को आधुनिक रूप में स्थापित किया है। तकनीकी युग में भी हिंदी तेजी से ई-कंटेंट, ब्लॉगिंग, वेब पोर्टल और सोशल मीडिया के माध्यम से विश्वभर में प्रचलित हो रही है।


निष्कर्ष

हिंदी पखवाड़ा केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह एक भाषाई आंदोलन है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमारी पहचान को मजबूती प्रदान करता है। यदि हम सब अपने दैनिक जीवन में हिंदी का प्रयोग बढ़ाएँ तो न केवल हिंदी का विकास होगा, बल्कि हमारी संस्कृति भी और अधिक सशक्त होगी।

इसलिए आइए, हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर संकल्प लें कि हम हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करेंगे और इसे गौरवशाली बनाएँगे।