Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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जब अच्छा होने वाला होता है, तभी बुराई अपनी तरफ खींचती है Hindi Essay

 मनुष्य का जीवन संघर्षों और द्वंद्वों से भरा होता है। जब भी वह अच्छाई की ओर कदम बढ़ाता है, तब बुराई उसे रोकने का हर संभव प्रयास करती है। यह एक ऐसा सार्वभौमिक सत्य है, जिसे हम अपने जीवन के अनेक अनुभवों में महसूस करते हैं। इस विचार को सूक्ति के रूप में इस तरह कहा जा सकता है – "जब अच्छा होने वाला होता है, तभी बुराई अपनी तरफ खींचती है।" यह कथन न केवल गहराई से यथार्थ को उजागर करता है, बल्कि यह हमें आत्ममंथन और साहस की प्रेरणा भी देता है। 



अच्छाई की राह कठिन क्यों होती है?

अच्छाई की राह हमेशा कठिन और चुनौतीपूर्ण रही है, क्योंकि उसमें त्याग, संयम, और सच्चाई की आवश्यकता होती है। जब कोई व्यक्ति या समाज सकारात्मक परिवर्तन की ओर बढ़ता है, तो स्वार्थ, आलस्य, भय और अहंकार जैसी नकारात्मक शक्तियाँ सक्रिय हो उठती हैं। ये बुराइयाँ मानो इस बात से भयभीत हो जाती हैं कि कहीं अच्छाई स्थापित न हो जाए और उनका अस्तित्व समाप्त न हो जाए। इसलिए वे अधिक प्रभावी ढंग से मनुष्य को विचलित करने लगती हैं।


बुराई का आकर्षण और उसकी रणनीति:

बुराई हमेशा आसान रास्ता दिखाती है — वह त्वरित सुख, लालच, और झूठे आश्वासन देती है। जब कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करने की ठाने, जैसे किसी की मदद करना, ईमानदारी से कार्य करना या समाज में सकारात्मक बदलाव लाना, तो बुराई उसे भ्रमित करने लगती है। वह उसके मन में शंका, भय या असफलता का डर उत्पन्न करती है।

उदाहरण के लिए, जब कोई छात्र मन लगाकर पढ़ाई करने की ठानता है, तभी उसे आलस्य, सोशल मीडिया का आकर्षण या बाहरी दुनिया की रंगीनियों की खींच शुरू हो जाती है। जब कोई सामाजिक कार्यकर्ता भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाता है, तो उसे धमकियाँ मिलती हैं, झूठे आरोप लगते हैं। ये सब बुराई के हथकंडे हैं, ताकि अच्छाई आगे न बढ़ सके।


धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण:

हिंदू धर्मग्रंथों में भी यह सिद्धांत स्पष्ट रूप से मिलता है। रामायण में जब राम ने रावण का अंत करना तय किया, तब रावण ने माया, छल और भ्रम की अनेक योजनाएँ बनाईं। महाभारत में जब पांडव धर्म के मार्ग पर चल रहे थे, तब कौरवों ने षड्यंत्र, जुआ और युद्ध जैसे उपाय अपनाए। हर युग में, जब अच्छाई बलवती होती है, बुराई और अधिक विकराल रूप ले लेती है — क्योंकि वह जानती है कि अब उसका अंत निकट है।


आधुनिक परिप्रेक्ष्य में:

आज के समय में भी जब कोई व्यक्ति समाज में परिवर्तन लाने की कोशिश करता है, जैसे कि भ्रष्टाचार हटाना, शिक्षा सुधारना या महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करना, तो उसे अनेक विरोधों, आलोचनाओं और अड़चनों का सामना करना पड़ता है। इसका सीधा कारण यह है कि पुरानी और नकारात्मक शक्तियाँ नहीं चाहतीं कि सकारात्मक परिवर्तन हो।


सकारात्मक दृष्टिकोण और समाधान:

इस कथन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब जीवन में अड़चनें, आलोचनाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ सक्रिय होने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि आप सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह समय पीछे हटने का नहीं, बल्कि और अधिक धैर्य, साहस और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का है।

हमें यह समझना चाहिए कि बुराई का बढ़ता प्रतिरोध अच्छाई की सफलता का संकेत होता है। इसलिए विपरीत परिस्थितियों में घबराने के बजाय उन्हें एक सकारात्मक संकेत के रूप में लेना चाहिए।


निष्कर्ष:

"जब अच्छा होने वाला होता है, तभी बुराई अपनी तरफ खींचती है" — यह सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि जीवन का गूढ़ सत्य है। बुराई का विरोध ही इस बात का प्रमाण है कि अच्छाई प्रभावी हो रही है। जीवन में जब-जब कोई व्यक्ति, समाज या देश अच्छाई की राह पर चलता है, तब-तब बुराई उसे रोकने का प्रयास करती है। परंतु अगर हम अपने लक्ष्य के प्रति सजग, निष्ठावान और साहसी रहें, तो कोई भी बुराई हमें नहीं रोक सकती। यही जीवन का असली संघर्ष और विजय है।