Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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Essay on Digital India in Hindi

 परिचय-

‘डिजिटल इंडिया’ भारतीय समाज को अंतर्राष्ट्रीय रीति-नीतियों से कदम मिलाकर चलने की प्रेरणा देने वाला एक प्रशंसनीय और साहसिक प्रयास है। यह भारत सरकार की एक नई पहल है। भारत के भावी स्वरूप को ध्यान में रखकर की गई एक दूरदर्शितापूर्ण संकल्पना है।

उद्देश्य-
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत को डिजिटल दृष्टि से सशक्त समाज और ज्ञानाधारित अर्थव्यवस्था में बदलना है। इस संकल्प के अंतर्गत भारतीय प्रतिभा को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़कर कल के भारत की रचना करना है। इस दृष्टि से “डिजिटल इंडिया’ के तीन प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं

  • हर नागरिक के लिए एक उपयोगी डिजिटल ढाँचा तैयार करना।
  • जनता की माँग पर आधारित डिजिटल सेवाओं का संचालन तथा उन्हें लोगों को उपलब्ध कराना।
  • लोगों को डिजिटल उपकरणों के प्रयोग में दक्षता प्रदान करना।

डिजिटल होने का अर्थ-
आम आदमी के लिए डिजिटल बनने का आशय है कि नकद लेन-देन से बचकर आनलाइन (मोबाइल, पेटीएम, डेविट कार्ड आदि) लेन-देन का प्रयोग करना, कागजी काम को कम से कम किया जाना। सरकारी तथा बैंकिंग कार्यों में और व्यापारिक गतिविधियों में पारदर्शिता आना। ठगी और रिश्वत से बचाव होना आदि हैं।

डिजिटल अभियान के लाभ-
यह अभियान समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुँचाने वाला है-

  1. यह व्यवस्था गृहणियों को पारवारिक आय-व्यय, खरीददारी, मासिक और वार्षिक प्रबंधन आदि में सहायक है।
  2. छात्रों के लिए उपयुक्त विद्यालय के चयन, अध्ययन सामग्री की सहज उपलब्धता, छात्रवृत्ति आदि के लिए आन लाइन प्रार्थना-पत्र भेजने में, पुस्तकों के बोझ को कम करने में सहायक होगा।
  3. बेरोजगार नौजवान उपयुक्त नौकरियों की तलाश सरलता से कर पाएँगे तथा डिजिटल प्रार्थना-पत्रों के प्रयोग से पारदर्शी चयन प्रणाली का लाभ उठाएँगे। आनलाइन प्रमाण-पत्र जमा कर सकेंगे।
  4. व्यापारी और उद्योगी भी इससे लाभान्वित होंगे, नकद लेन-देन के झंझट से बचाव होगा। ग्राहक संतुष्ट रहेंगे। सरकारी कामों, आयकर, ट्रांसपोर्ट तथा व्यापार के विस्तार में पारदर्शिता आएगी।
  5. अभिलेखों की सुरक्षा, ई-हस्ताक्षर, मोबाइल बैंकिंग, सरकारी कामों में दलालों से मुक्ति, जमीन-जायदाद के क्रय-विक्रय में पारदर्शिता, ई-पंजीकरण आदि ‘डिजिटल इंडिया’ के अनेक लाभ हैं। .

चुनौतियाँ-
डिजिटल प्रणाली को लागू करने के अभियान में अनेक चुनौतियाँ भी हैं। सबसे प्रमुख चुनौती है- जनता को इसके प्रति आश्वस्त करके इसमें भागीदार बनाना। नगरवासियों को भले ही डिजिटल उपकरणों का प्रयोग आसान लगता हो, लेकिन करोड़ों ग्रामवासियों, अशिक्षितों को इसके प्रयोग में सक्षम बनाना एक लम्बी और धैर्यशाली प्रक्रिया है। इसके अतिरिक्त कर चोरी के प्रेमियों को यह प्रणाली रास नहीं आएगी। इलेक्ट्रानिक सुरक्षा के प्रति लोगों में भरोसा जमाना होगा। साइबर अपराधों, हैकिंग और ठगों से जनता को सुरक्षा प्रदान करनी होगी।

आगे बढ़ें- चुनौतियाँ, शंकाएँ और बाधाएँ तो हर नए और हितकारी काम में आती रही हैं। शासकीय ईमानदारी और जन-सहयोग से, इस प्रणाली को स्वीकार्य और सफल बनाना, देशहित की दृष्टि से बड़ा आवश्यक है। आशा है, हम सफल होंगे।

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