राम को चोट लगे तो रहीम को आंसू आये । रहीम को रंज हो तो राम सो न पाये ।।
गंगा-जमनी तहजीब जहां, हरदम विराज करे । सभी के लिए दिलों में मोहब्बत परवाज करे ।।
रस्मों में फर्क हो पर दिलों में नहीं । फिरकावाराना वारदात ना हो पाये कहीं ।।
मंदिरों में शंखनाद हो, मसजिदों में गूंजे अजान । एकजहती की आला मिसाल बने हिंदोस्तान ।।
ऐसे भी हालात इन दिनों मुल्क में पाये गये हैं । अपने कभी थे पल भर में वे पराये हुए हैं ।।
भाई यहां देखो भाई का गला काट रहा है । सियासत का गंदा खेल दिलों को बांट रहा है ।।
बरसों से सभी कौम के लोग साथ रहते आये हैं । फिर क्या हुआ जो बढ़ रहे नफरतों के साये हैं ।।
क्यों शहर दर शहर खूंरेजी, कत्ल बवाल है । क्यों मजहबों के बीच दीवारें उठीं क्या मलाल है ।।
हिंदोस्तानी हूं मैं , दिल में उठता सवाल है । जो भाई का घर फूंक रहा, वह भी न बचेगा खयाल है ।।
मुल्क की दुश्मन हैं जो ताकतें हमें बांट रही हैं । उनकी सियासत चल रही वो चांदी काट रही हैं ।।
आपस में सब भाई हैं सब हिंदोस्तानी हैं । सबके दर्द एक हैं सबकी इक जैसी कहानी है ।।
हर हिंदोस्तानी को कसम है, है खुदा का वास्ता । हम मोहब्बत से जियें बस यही है सच्चा रास्ता ।।
पैगंबर से लेकर धर्मगुरु तक ने दिया प्रेम का संदेश । प्रेम जगत का सार है कुछ इससे नहीं विशेष ।।
गिले-शिकवे भूल कर यह अहद कर लें आज । मुल्क में अम्नोअमान हो लायेंगे मोहब्बतों का राज ।।
दिशा दिशा में दावानल क्यों,चप्पे चप्पे हाहाकार । शैतानी हैं कौन ताकतें करतीं नफरत का व्यापार ।।
ना तख्त, ना ताज, ना ऐश का सामान चाहिए । एकजहती, अमन का राज हो ऐसा हिंदोस्तान चाहिए ।।
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